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भारत के टियर-2 शहरों में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग नेटवर्क तेज़ी से बढ़ रहा |
भारत के टियर-2 शहरों में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का तेज़ी से विस्तार हो रहा है। 1 अप्रैल, 2025 तक, इन शहरों में कार्यरत चार्जिंग स्टेशनों की संख्या बढ़कर 4,625 हो गई । इस्पात एवं भारी उद्योग राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी साझा की।
पीएम ई-ड्राइव कार्यक्रम को मज़बूती
सरकार ने अक्टूबर 2024 में शुरू किए गए पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) कार्यक्रम के तहत, टियर-2 शहरों सहित पूरे भारत में सार्वजनिक स्थानों पर चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए 10,900 करोड़ रुपये की सब्सिडी भी प्रदान की जा रही है।
निजी उद्यमियों के लिए भी अवसर
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना एक गैर-लाइसेंस प्राप्त गतिविधि है, जिससे निजी उद्यमियों को इस क्षेत्र में निवेश करने का अवसर मिलता है। उन्होंने कहा, "चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना माँग पर आधारित है और इलेक्ट्रिक वाहनों की उपलब्धता जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है, इसलिए कोई निश्चित लक्ष्य निर्धारित नहीं किया जा सकता।"
FAME-II कार्यक्रम में योगदान
केंद्र सरकार ने FAME-II कार्यक्रम के तहत 8,932 इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना के लिए तीन तेल विपणन कंपनियों (IOCL, BPCL और HPCL) को 873.50 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। पिछले तीन वर्षों में देश में सार्वजनिक इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशनों की संख्या 5,151 से बढ़कर 26,000 हो गई है, जो इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की दिशा में एक बड़ा कदम है।
इलेक्ट्रिक ट्रकों के लिए नई पहल
इस महीने की शुरुआत में, सरकार ने पीएम ई-ड्राइव कार्यक्रम के तहत इलेक्ट्रिक ट्रकों (ई-ट्रकों) के लिए वित्तीय प्रोत्साहन शुरू किए, जिसमें प्रति वाहन अधिकतम 9.6 लाख रुपये की सब्सिडी दी गई। इस पहल से देश भर में लगभग 5,600 इलेक्ट्रिक ट्रकों की बिक्री को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
भविष्य की संभावनाएँ
द्वितीय श्रेणी के शहरों में चार्जिंग नेटवर्क का विस्तार और सरकारी प्रोत्साहन इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की गति को और तेज़ करेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह उपाय न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान देगा, बल्कि छोटे शहरों में टिकाऊ परिवहन को बढ़ावा देकर आर्थिक विकास को भी गति देगा।
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