आईआईटी हैदराबाद ने भारत की पहली पूर्णतः चालक क्षमता वाली प्रणाली शुरू की है। जानें टीआईएचएएन की स्वायत्त बसों, तकनीकी विशेषताओं और भारत में स्मार्ट मोबिलिटी के भविष्य के बारे में।
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"स्वायत्त बस आईआईटी-एच", Photo - Social Media |
मुख्य बिंदु:-
- भारत का पहला पूर्णतः स्वायत्त परिवहन सिस्टम
- टीआईएचएएन के नेतृत्व में तकनीकी नवाचार
- भारतीय सड़कों के लिए अनुकूलित एआई-आधारित ड्राइविंग सिस्टम
- टीआईएचएएन स्वायत्त नेविगेशन का पावरहाउस
Auto News : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद (आईआईटी-एच) ने हाल ही में अपनी कैंपस में पूर्णतः चालक क्षमता वाली प्रणाली (Fully Autonomous Driving System) शुरू की है, जो भारत में स्वायत्त वाहन तकनीक में एक क्रांतिकारी कदम है।
यह प्रणाली टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब ऑन ऑटोनॉमस नेविगेशन (टीआईएचएएन) द्वारा विकसित की गई है और यह एआई-संचालित ड्राइवरलेस बसों के रूप में लागू की गई है। ये बसें कैंपस में सुरक्षित, कुशल और पर्यावरण-अनुकूल परिवहन प्रदान करती हैं, जो भारतीय सड़कों की जटिलताओं को ध्यान में रखकर डिज़ाइन की गई हैं। स्वायत्त वाहन, स्वचालित परिवहन, और स्मार्ट मोबिलिटी जैसे कीवर्ड्स के साथ, यह ब्लॉग पोस्ट इस तकनीकी नवाचार के महत्व, विशेषताओं और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालता है।
टीआईएचएएन (Technology Innovation Hub on Autonomous Navigation) आईआईटी-एच का एक प्रमुख केंद्र है, जो स्वायत्त नेविगेशन और डेटा एक्विजिशन सिस्टम्स पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य सुरक्षित, सस्टेनेबल, और स्मार्ट मोबिलिटी को बढ़ावा देना है। यह भारत का पहला स्वायत्त नेविगेशन टेस्टबेड संचालित करता है, जो स्वायत्त तकनीकों के परीक्षण और सत्यापन के लिए विश्व-स्तरीय सुविधा प्रदान करता है।
ये रही उपलब्धियां:-
50+ रिसर्च प्रोजेक्ट्स।
100+ पब्लिकेशन्स और 35+ पेटेंट्स।
450+ सदस्यों की टीम।
25+ इंडस्ट्री पार्टनर्स और 45 स्टार्टअप्स का इनक्यूबेशन।
TIEHAN ने सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन और टाटा टेक्नोलॉजीज जैसे उद्योग दिग्गजों के साथ मिलकर एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम्स (SDAS ) और कोलिजन वार्निंग सिस्टम्स का परीक्षण किया है। यह केंद्र भारत को स्वायत्त वाहन तकनीक में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रहा है।
तकनीकी विशेषताएं: भारत के लिए अनुकूलित स्वायत्त प्रणाली
आईआईटी-एच की स्वायत्त बसें एआई-संचालित सॉफ्टवेयर और टीआईएचएएन के इन-हाउस ऑटोनॉमस स्टैक पर आधारित हैं।
ये बसें दो वेरिएंट्स में उपलब्ध हैं:
6-सीटर शटल
14-सीटर शटल
प्रमुख विशेषताएं को जानें :-
पूर्णतः इलेक्ट्रिक: पर्यावरण-अनुकूल और सस्टेनेबल।
ऑटोनॉमस इमरजेंसी ब्रेकिंग (एईबी): आपातकालीन स्थिति में स्वचालित ब्रेकिंग।
एडाप्टिव क्रूज कंट्रोल (एसीसी): गति और दूरी का स्वचालित प्रबंधन।
मल्टी-सेंसर फ्यूजन: भारतीय सड़कों की चुनौतियों (स्पीड बम्प्स, पॉटहोल्स, ट्रैफिक सिग्नल्स) को पहचानने के लिए लिडार, रडार, और कैमरों का उपयोग।
वी2एक्स (व्हीकल टू एवरीथिंग) कम्युनिकेशन: 5जी और मल्टीमोडल पर्सेप्शन के साथ कनेक्टिविटी।
सफारी टेस्ट में 8,000 किलोमीटर की यात्रा :
इस प्रणाली का एक महत्वपूर्ण परीक्षण सफारी टेस्ट था, जिसमें बसों ने हैदराबाद से जम्मू तक 8,000 किलोमीटर की यात्रा की। इस दौरान 35 शहरों से डेटा एकत्र किया गया, जिसने एआई एल्गोरिदम्स को भारतीय सड़क परिस्थितियों के लिए प्रशिक्षित किया। यह प्रणाली सुरक्षा, बाधा पहचान, और कोलिजन मिटिगेशन में सक्षम है, जो इसे लेवल 5 ऑटोनॉमी के लिए उपयुक्त बनाती है।
उपलब्धियां और उपयोगकर्ता अनुभव :-
लॉन्च के बाद, इन बसों ने 10,000+ यात्रियों को कैंपस में परिवहन प्रदान किया है, जिसमें 90% संतुष्टि दर दर्ज की गई। यह भारत में स्वायत्त पब्लिक ट्रांसपोर्ट की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
आंध्र प्रदेश सचिवालय में ट्रायल: वास्तविक दुनिया में प्रणाली का सफल प्रदर्शन।
कैंपस पर नियमित संचालन: नियंत्रित वातावरण जैसे इंडस्ट्रियल जोन्स, माइन्स, और एयरपोर्ट्स के लिए स्केलेबल।
उपयोगकर्ता फीडबैक: यात्रियों ने बसों की सुरक्षा, सुविधा और नवाचार की सराहना की है। यह प्रणाली स्मार्ट सिटी परियोजनाओं और पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए एक मॉडल बन सकती है।
भविष्य की संभावनाएं और प्रभाव क्या हो सकता
आईआईटी-एच की यह पहल भारत के मोबिलिटी सेक्टर को बदलने की क्षमता रखती है। टीआईएचएएन का टेस्टबेड उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के लिए खुला है, जो स्वायत्त तकनीकों को भारतीय परिस्थितियों में मान्य करने में मदद करता है।
पब्लिक रोड्स पर विस्तार: भविष्य में ये बसें पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम का हिस्सा बनेंगी।
शिक्षा और प्रशिक्षण: टीआईएचएएन एआई और मशीन लर्निंग में विशेष कोर्स के माध्यम से अगली पीढ़ी के इनोवेटर्स को तैयार कर रहा है।
सरकारी समर्थन: तेलंगाना सरकार और अन्य संस्थानों ने इस प्रणाली में रुचि दिखाई है।
यह प्रणाली विदेशी तकनीक पर निर्भरता को कम करेगी और स्थानीय विशेषज्ञता को बढ़ावा देगी, जिससे भारत स्वायत्त वाहन इकोसिस्टम में वैश्विक लीडर बन सकता है।
इसका निष्कर्ष:-
आईआईटी-एच की पूर्णतः चालक क्षमता वाली प्रणाली भारत में स्वायत्त वाहन तकनीक के लिए एक गेम-चेंजर है। यह न केवल सुरक्षित और सस्टेनेबल परिवहन को बढ़ावा देती है, बल्कि भारत को स्मार्ट मोबिलिटी में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाती है। टीआईएचएएन के नेतृत्व में, यह प्रणाली स्मार्ट सिटी परियोजनाओं, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, और टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन के लिए एक मॉडल प्रस्तुत करती है।
कॉल टू एक्शन: इस क्रांतिकारी तकनीक के बारे में और जानने के लिए आईआईटी-एच और टीआईएचएएन की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। अपने विचार कमेंट्स में साझा करें और इस ब्लॉग को शेयर करें ताकि अधिक लोग भारत के स्वायत्त वाहन क्रांति के बारे में जान सकें!
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